थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें By Sher << मजनूँ नहीं कि एक ही लैला ... यक़ीनन आ गया है मय-कदे मे... >> थके-हारे परिंदे जब बसेरे के लिए लौटें सलीक़ा-मंद शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है Share on: