'मजरूह' क़ाफ़िले की मिरे दास्ताँ ये है By Sher << कमाल-ए-ज़ब्त में यूँ अश्क... सदा-ए-क़ुलक़ुल-ए-मीना मुझ... >> 'मजरूह' क़ाफ़िले की मिरे दास्ताँ ये है रहबर ने मिल के लूट लिया राहज़न के साथ Share on: