मकीनों के तअल्लुक़ ही से याद आती है हर बस्ती By Sher << शायद तुम भी अब न मुझे पहच... हम तो अपनों से भी बेगाना ... >> मकीनों के तअल्लुक़ ही से याद आती है हर बस्ती वगरना सिर्फ़ बाम-ओ-दर से उल्फ़त कौन रखता है Share on: