मल रहे हैं वो अपने घर मेहंदी By Sher << मैं मसीहा उसे समझता हूँ इन हसीनों से ख़ुदा साबिक़... >> मल रहे हैं वो अपने घर मेहंदी हम यहाँ एड़ियाँ रगड़ते हैं Share on: