मालूम नहीं मुझ को कि जावेगा किधर को By Sher << मंसूर ने न ज़ुल्फ़ के कूच... मजनूँ कहानी अपनी सुनावे अ... >> मालूम नहीं मुझ को कि जावेगा किधर को यूँ सीना तिरा चाक-ए-गरेबाँ से निकल कर Share on: