माँगने को तो यहाँ अपने सिवा कुछ भी न था By दुआ, Sher << राग अपना गा हमारा ज़िक्र ... काफ़िर गेसू वालों की रात ... >> माँगने को तो यहाँ अपने सिवा कुछ भी न था लब पे आता भी अगर हर्फ़-ए-दुआ क्या करते Share on: