मंज़िल-ए-हस्ती में इक यूसुफ़ की थी मुझ को तलाश By Sher << मिरे दहन में अगर आप की ज़... माना कि बज़्म-ए-हुस्न के ... >> मंज़िल-ए-हस्ती में इक यूसुफ़ की थी मुझ को तलाश अब जो देखा कारवाँ का कारवाँ मिलता नहीं Share on: