मंज़िल तो ख़ुश-नसीबों में तक़्सीम हो चुकी By Sher << ज़बाँ ख़ामोश माथे पर शिकन... कोई रौज़न ही ज़िंदाँ में ... >> मंज़िल तो ख़ुश-नसीबों में तक़्सीम हो चुकी कुछ ख़ुश-ख़याल लोग अभी तक सफ़र में हैं Share on: