कोई रौज़न ही ज़िंदाँ में नहीं है By Sher << मंज़िल तो ख़ुश-नसीबों में... किनारे भी मुमिद होते हैं ... >> कोई रौज़न ही ज़िंदाँ में नहीं है चलो फ़ुर्सत मिली फ़िक्र-ए-सहर से Share on: