मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे By Sher << मोहब्बत तर्क की मैं ने गर... शहर के रस्ते हों चाहे गाँ... >> मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे he who is stricken by love, remembers naught at all no cure will come to mind, nor prayer will recall Share on: