शहर के रस्ते हों चाहे गाँव की पगडंडियाँ By Sher << मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे ... नामों का इक हुजूम सही मेर... >> शहर के रस्ते हों चाहे गाँव की पगडंडियाँ माँ की उँगली थाम कर चलना बहुत अच्छा लगा Share on: