मस्जिद से गर तू शैख़ निकाला हमें तो क्या By Sher << मिरी नज़र में है 'क़ा... मअनी न आएँ दर्क में ग़ैर-... >> मस्जिद से गर तू शैख़ निकाला हमें तो क्या 'क़ाएम' वो मय-फ़रोश की अपने दुकाँ रहे Share on: