मौजा-ए-अश्क से भीगी न कभी नोक-ए-क़लम By Sher << पय-ब-पय तलवार चलती है यहा... मैं एक बाब था अफ़साना-ए-व... >> मौजा-ए-अश्क से भीगी न कभी नोक-ए-क़लम वो अना थी कि कभी दर्द न जी का लिक्खा Share on: