मौसम-ए-वज्द में जा कर मैं कहाँ रक़्स करूँ By Sher << कुफ़्र-ओ-ईमाँ दो नदी हैं ... 'सौदा' तिरी फ़रिय... >> मौसम-ए-वज्द में जा कर मैं कहाँ रक़्स करूँ अपनी दुनिया मिरी वहशत के बराबर कर दे Share on: