कुफ़्र-ओ-ईमाँ दो नदी हैं इश्क़ कीं By Sher << मौक़ूफ़ जुर्म ही पे करम क... मौसम-ए-वज्द में जा कर मैं... >> कुफ़्र-ओ-ईमाँ दो नदी हैं इश्क़ कीं आख़िरश दोनो का संगम होवेगा Share on: