मय न हो बू ही सही कुछ तो हो रिंदों के लिए By Sher << रुख़्सार पर है रंग-ए-हया ... दुनिया बस इस से और ज़ियाद... >> मय न हो बू ही सही कुछ तो हो रिंदों के लिए इसी हीले से बुझेगी हवस-ए-जाम-ए-शराब Share on: