मय पी जो चाहे आतिश-ए-दोज़ख़ से तू नजात By शराब, Sher << मैं दिवाना हूँ सदा का मुझ... मय की तौबा को तो मुद्दत ह... >> मय पी जो चाहे आतिश-ए-दोज़ख़ से तू नजात जलता नहीं वो उज़्व जो तर हो शराब में Share on: