मय-कदा छोड़ के क्यूँ दैर-ओ-हरम में जाएँ By Sher << मैं जीता हूँ देखे से सूरत... क्या तफ़रक़े हुआ जो हुए य... >> मय-कदा छोड़ के क्यूँ दैर-ओ-हरम में जाएँ इस में हिन्दू रहें उस में हों मुसलमाँ आबाद Share on: