'बेदार' राह-ए-इश्क़ किसी से न तय हुई By Sher << देख तू फ़ाल में कि वो मुझ... अयाँ है शक्ल तिरी यूँ हमा... >> 'बेदार' राह-ए-इश्क़ किसी से न तय हुई सहरा में क़ैस कोह में फ़रहाद रह गया Share on: