मेहर-ओ-वफ़ा ख़ुलूस-ए-तमन्ना मिलन की आस By Sher << सुनता है यहाँ कौन समझता ह... ये मस्लक अपना अपना है ये ... >> मेहर-ओ-वफ़ा ख़ुलूस-ए-तमन्ना मिलन की आस कुछ कम नहीं कि हम ने ये मोती बचा लिए Share on: