मेहराब-ब-इबादत ख़म-ए-अबरू है बुतों का By Sher << नहीं जी चाहता मिलने को सु... जब भी दिल खोल के रोए होंग... >> मेहराब-ब-इबादत ख़म-ए-अबरू है बुतों का कर बैठे हैं काबे को मुसलमान फ़रामोश Share on: