मेरे अंदर एक दस्तक सी कहीं होती रही By Sher << मेरे अंदर कोई तकता रहा रस... मिरे अंदर ढंडोरा पीटता है... >> मेरे अंदर एक दस्तक सी कहीं होती रही ज़िंदगी ओढ़े हुए मैं बे-ख़बर सोती रही Share on: