मिरे अंदर ढंडोरा पीटता है कोई रह रह के By Sher << मेरे अंदर एक दस्तक सी कही... मर के ख़ुद में दफ़्न हो ज... >> मिरे अंदर ढंडोरा पीटता है कोई रह रह के जो अपनी ख़ैरियत चाहे वो बस्ती से निकल जाए Share on: