मेरे बग़ल में रह के मुझी को क्या ज़लील By Sher << ये ख़ज़ाने का कोई साँप बन... उसी को जीने का हक़ है जो ... >> मेरे बग़ल में रह के मुझी को क्या ज़लील नफ़रत सी हो गई दिल-ए-ख़ाना-ख़राब से Share on: