मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ By Sher << शहर की गलियों में गहरी ती... सुनो मैं ख़ूँ को अपने साथ... >> मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ जो भी मैं कहता गया हुस्न-ए-बयाँ बनता गया Share on: