शहर की गलियों में गहरी तीरगी गिर्यां रही By Sher << यही ज़माना-ए-हाज़िर की का... मेरी घुट्टी में पड़ी थी ह... >> शहर की गलियों में गहरी तीरगी गिर्यां रही रात बादल इस तरह आए कि मैं तो डर गया Share on: