मेरी कम-गोई पे जो तंज़ किया करते हैं By Sher << हम को उसी दयार की मिट्टी ... शाम होती है तो लगता है को... >> मेरी कम-गोई पे जो तंज़ किया करते हैं मेरी कम-गोई के अस्बाब से ना-वाक़िफ़ हैं Share on: