मिला के क़तरा-ए-शबनम में रंग ओ निकहत-ए-गुल By Sher << रगों में दौड़ती हैं बिजलि... मिरी ख़बर तो किसी को नहीं... >> मिला के क़तरा-ए-शबनम में रंग ओ निकहत-ए-गुल कोई शराब बनाओ बहार के दिन हैं Share on: