रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़ By Sher << रंग ओ बू में डूबे रहते थे... मिला के क़तरा-ए-शबनम में ... >> रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़ शबाब कहते हैं जिस चीज़ को क़यामत है Share on: