मिलती है ख़ुशी सब को जैसे ही कहीं से भी By Sher << सज्दे का सबब जान के शीरीं... मिरे वजूद का मेहवर चमकता ... >> मिलती है ख़ुशी सब को जैसे ही कहीं से भी भूली हुइ बचपन की तस्वीर निकलती है Share on: