सज्दे का सबब जान के शीरीं है परेशाँ By Sher << उसी पे सब्र है मुझ को हर ... मिलती है ख़ुशी सब को जैसे... >> सज्दे का सबब जान के शीरीं है परेशाँ फ़रहाद ने कह डाला के रब ढूँड रहा हूँ Share on: