मिरा बेड़ी पहनना था कि दुनिया की हवा बदली By Sher << मिरी रात क्यूँ कर कटेगी इ... मर्ग-ए-आशिक़ पे फ़रिश्ता ... >> मिरा बेड़ी पहनना था कि दुनिया की हवा बदली ज़माने की बहारें फट पड़ीं आ के गुलिस्ताँ पर Share on: