मर्ग-ए-आशिक़ पे फ़रिश्ता मौत का बदनाम था By Sher << मिरा बेड़ी पहनना था कि दु... माँगने पर क्या न देगा ताक... >> मर्ग-ए-आशिक़ पे फ़रिश्ता मौत का बदनाम था वो हँसी रोके हुए बैठा था जिस का काम था Share on: