मिरा ख़ून-ए-जिगर पुर-नूर बन जाए तो अच्छा हो By Sher << बंद कलियों की अदा कहती है दोस्त नाराज़ हो गए कितने >> मिरा ख़ून-ए-जिगर पुर-नूर बन जाए तो अच्छा हो तुम्हारी माँग का सिन्दूर बन जाने तो अच्छा हो Share on: