मिरे सारे बदन पर दूरियों की ख़ाक बिखरी है By Sher << मेरी इक उम्र और इक अहद की... मेरे हर मिस्रे पे उस ने व... >> मिरे सारे बदन पर दूरियों की ख़ाक बिखरी है तुम्हारे साथ मिल कर ख़ुद को धोना चाहता हूँ मैं Share on: