मिरी दास्ताँ भी अजीब है वो क़दम क़दम मिरे साथ था By Sher << न ही बिजलियाँ न ही बारिशे... जाम-ए-इश्क़ पी चुके ज़िंद... >> मिरी दास्ताँ भी अजीब है वो क़दम क़दम मिरे साथ था जिसे राज़-ए-दिल न बता सका जिसे दाग़-ए-दिल न दिखा सका Share on: