मिरी ग़ैरत-ए-हमा-गीर ने मुझे तेरे दर से उठा दिया By Sher << तुझ हिज्र की अगन कूँ बूझा... मिरे दिल के अकेले घर में ... >> मिरी ग़ैरत-ए-हमा-गीर ने मुझे तेरे दर से उठा दिया कुछ अना का ज़ोर जो कम हुआ तो ख़बर हुई तू ख़ुदा सा है Share on: