तुझ हिज्र की अगन कूँ बूझाने ऐ संग दिल By Sher << चाहता है दिल किसी से राज़... मिरी ग़ैरत-ए-हमा-गीर ने म... >> तुझ हिज्र की अगन कूँ बूझाने ऐ संग दिल कोई आब-ज़न-रफ़ीक़ ब-जुज़ चश्म-ए-तर नहीं Share on: