मिरी इब्तिदा मिरी इंतिहा कहीं और है By Sher << कोई दिन और ग़म-ए-हिज्र मे... बा'द मरने के भी अरमान... >> मिरी इब्तिदा मिरी इंतिहा कहीं और है मैं शुमारा-ए-माह-ओ-साल में नहीं आऊँगा Share on: