कोई दिन और ग़म-ए-हिज्र में शादाँ हो लें By Sher << पा-ब-जौलाँ तो हर इक शख़्स... मिरी इब्तिदा मिरी इंतिहा ... >> कोई दिन और ग़म-ए-हिज्र में शादाँ हो लें अभी कुछ दिन में समझ जाएँगे दुनिया क्या है Share on: