मिरी ज़िंदगी का हासिल तिरे ग़म की पासदारी By Sher << देखा न तुम ने आँख उठा कर ... तू चला गया है तो शहर फिर ... >> मिरी ज़िंदगी का हासिल तिरे ग़म की पासदारी तिरे ग़म की आबरू है मुझे हर ख़ुशी से प्यारी Share on: