मिरी वफ़ा है मिरे मुँह पे हाथ रक्खे हुए By वफ़ा, Sher << एक बार फिर सलाम दूर जाने ... सर्दी है कि इस जिस्म से फ... >> मिरी वफ़ा है मिरे मुँह पे हाथ रक्खे हुए तू सोचता है कि कुछ भी नहीं समझता मैं Share on: