सर्दी है कि इस जिस्म से फिर भी नहीं जाती By Sher << मिरी वफ़ा है मिरे मुँह पे... जब से उस की आँख में आँसू ... >> सर्दी है कि इस जिस्म से फिर भी नहीं जाती सूरज है कि मुद्दत से मिरे सर पर खड़ा है Share on: