ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज By Sher << मेरी हर बात बे-असर ही रही पहले पहले हवस इक-आध दुकाँ... >> ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक save death, asad what else release from this life of pain? a lamp must burn in every hue till dawn is there again Share on: