पहले पहले हवस इक-आध दुकाँ खोलती है By Sher << ग़म-ए-हस्ती का 'असद&#... किसी के तीर को छाती से हम... >> पहले पहले हवस इक-आध दुकाँ खोलती है फिर तो बाज़ार के बाज़ार से लग जाते हैं Share on: