न बंधे तिश्नगी-ए-ज़ौक़ के मज़मूँ 'ग़ालिब' By Sher << तू ने ग़ारत किया घर बैठे ... पीने से कर चुका था मैं तौ... >> न बंधे तिश्नगी-ए-ज़ौक़ के मज़मूँ 'ग़ालिब' गरचे दिल खोल के दरिया को भी साहिल बाँधा Share on: