मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ By Sher << हम तलवार उठा नहीं पाए हर एक शाख़ थी लर्ज़ां फ़ज... >> मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ मैं इंतिज़ार की हर कैफ़ियत से गुज़रा हूँ Share on: