मिट्टी ख़राब है तिरे कूचे में वर्ना हम By Sher << मैं तुझ से मिलने समय से प... कोई दस्तक न कोई आहट थी >> मिट्टी ख़राब है तिरे कूचे में वर्ना हम अब तक तो जिस ज़मीं पे रहे आसमाँ रहे Share on: