मोहब्बत की तो कोई हद, कोई सरहद नहीं होती By Sher << 'बेख़ुद' तो मर मि... ऐसा है कि सिक्कों की तरह ... >> मोहब्बत की तो कोई हद, कोई सरहद नहीं होती हमारे दरमियाँ ये फ़ासले, कैसे निकल आए Share on: