मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है By Sher << चाँद बनना तुम्हें मुबारक ... ये मेरी तीरा-नसीबी ये साद... >> मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है बढ़ी जब बे-ख़ुदी फिर कौन डरता है गुनाहों से Share on: